लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2022 तुमसे लागी लगन
शीर्षक :-तुमसे लागी लगन
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जैसे ही रजनी ने घर के अन्दर कदम रखा उसकी रोनी सूरत देखकर उसकी मम्मी सुजाता ने जब उससे इसका कारण जानने की कोशिश की तब शेरनी की तरह दहाड़कर बोली," मम्मी मुझसे कुछ भी बात मत करो प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो नहीं तो मैं पागल होजाऊँगी।"
सुजाता को उसकी इस तरह की बेतुकीबातें सुनकर उनको चिन्ता होगयी। वह आगे कुछ बोलती उससे पहले ही रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया।
सुजाता की चिन्ता और बढ़ गयी उनके दिमाग में गलत विचार आने लगे। उनको सबसे अधिक यह चिन्ता सतारही थी कि यह कमरे के अन्दर कुछ उल्टा सीधा न करले।
इसलिए सुजाता ने अपने पति अनिल को फौन किया पूरी बात बतादी। अनिल अति शीघ्र अपना औटो लेकर घर आगया और रजनी के कमरे पर दस्तक देकर खुलवाया।
रजनी की आँखे रो रोकर लाल होचुकी थी उसकी आँखों से अभी भी आँसू बह रहे थे।
अनिल ने जब रजनी से रोने का कारण पूछा तब उसने वही जबाब दिया जो अपनी मम्मी को दिया था कि पापा प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो। मै बहुत परेशान हूँ।
अनिल ने कहा," बेटा मेरी एक बात सुनले बस उसके बाद मैं तुझसे कुछ नहीं कहूँगा।"
रजनी बोली," ठीक है आप सुनाओ क्या कहना चाहते हो?"
अनिल बोला," मै तुझे एक छोटी सी बकवास कहानी सुनाना चाहता हू़ बस?
"सुनाओ पापा!"
अनिल ने कहानी सुनानी आरम्भ की इस कहानी को रजनी की मम्मी बाहर खडी़ सुनने लगी।
अनिल बोला,' बेटी एक नगर का बहुत बडा़ सेठ था उसके एक अकेला बेटा था जिसे वह अपनी जान से भी अधिक प्यार करता था। बेटा भी आज्ञाकारी था अपने पापा की हर बात मानता था।
सेठ के बेटे की शादी होगयी । बहुत समय बाद सेठ के बेटे की बहू गर्भवती हुई। सेठ बहुत खुश हुआ । सेठ ने अपने बेटे से कहा," बेटा आने वाली सन्तान का लिंग चैक करवालो जिससे पता चल जायेगा कि बहू के पेट में लड़का है अथवा लडकी ? यदि लड़की होगी तो उसे गिरवादो क्यौकि हमें केवल लड़का चाहिए।
जब बेटे ने चैक करवाया तब लड़की निकली । सेठ ने उसे गिरवाने के लिए बोला। परन्तु बेटा इसके लिए तैयार नही़ हुआ जब बात बढ़गयी तब वह बेटा अपने पिता की पूरी सम्पत्ति को ठोकर मारकर अपनी पत्नी के साथ दूसरे शहर चला गया और महनत मजदूरी करके अपना और अपनी पत्नी का पेट भरने लगा।
उसने किराये का ओटो रिक्शा चलाकर अपनी आने वाली बेटी के लिए पैसा इकट्ठा करने लगा। जब उसकी बेटी का जन्म हुआ तब उसने खूब खुशिया मनाई ।और उस बेटी को मेहनत करके पढाया। उसे कभी यह महसूस नही होने दिया कि वह लड़की है। और उसके बाद किसी सन्तान को जन्म नहीं दिया।
उसी समय सुजाता अन्दर आगयी और बोली इससे आगे की कहानी मै सुनाती हूँ सुन " जब वह अपने पापा से पूछती कि मेरे दादा दादी कहाँ है तब वह कहते कि मै अनाथ हूँ उनको डर था कि कही बेटी दादा दादी से मिलने की जिद न कर बैठे।
और वह बेटी कोई और नहीं तू है ये तेरे पापा तेरे लिए सेठ सूरजभान की सम्पत्ति को ठोकर मारकर ओटो चलाने लगे और आज वही बेटी किसी और के लिए दुःखी होरही है जो उसके आँसुऔ की कद्र नही कर सकता है।
रजनी अपने पापा के गले लगकर बोली," पापा मुझे माँफ करदो आपने मेरे लिए सभी सुख सुबिधा छोड़दी मै अब आपकी हर बात माँनूँगी।
उसी समय रजनी के उसी दोस्त का फौन आया जिससे वह अभी कुछ समय पहले झगडा़ करके आई थी।
रजनी ने उसका फौन अटैन्ड किया और बोली ," तुम कौनबोल रहे है मैं नही जानती हूँ इतना कहकर उसने फौन काट दिया। अब रजनी को अपने पापा मम्मी से बडे़ भगवान भी नहीं लग रहे थे।। अब उसकी लगन अपने मम्मी पापा से लग रही थी ़उसे अपने पापा से कोई बडा़ नही लग रहा था ।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
22-Nov-2022 11:30 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
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Khan
22-Nov-2022 10:59 PM
Nice💐👌
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Rajeev kumar jha
22-Nov-2022 07:06 PM
बहुत खूब
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